रावण चरित्र

भाग-१(1) सनकादि मुनियों ने दिया जय विजय को शाप

भाग-२(2) महर्षि भृगु ने दिया श्री हरी को श्राप

भाग-३(3) इंद्र को जीवनदान व बृहस्पति को 'जीव' नाम देना तथा जलंधर की उत्पत्ति

भाग-४(4) देव-जलंधर युद्ध तथा श्रीविष्णु का लक्ष्मी को जलंधर का वध न करने का वचन देना

भाग-५(5) श्रीविष्णु-जलंधर युद्ध तथा नारदजी का कपट जाल

भाग-६(6) शिवगणों का असुरों से युद्ध

भाग-७(7) भगवान् शिव और जलंधर का युद्ध

भाग-८(8) श्रीविष्णु द्वारा वृंदा का पतिव्रत भंग तथा शिवजी द्वारा जलंधर का वध

भाग-९(9) धात्री, मालती और तुलसी का आविर्भाव

भाग-१०(10) दैत्यराज शंखचूड़ की उत्पत्ति तथा तुलसी के साथ उसका विवाह 

भाग-११(11) शंखचूड़ के आतंक से भयभीत होकर देवताओं का भगवान् शिव के समक्ष रक्षा की याचना करना

भाग-१२(12) शंखचूड़ और भगवान शिव की सेना का युद्ध के लिए तत्पर होना

भाग-१३(13) शंखचूड़ और शिव-सेना का प्रलयंकारी युद्ध

भाग-१४(14) महादेव और शंखचूड़ युद्ध

भाग-१५(15) भगवान शिव द्वारा शंखचूड़ का वध तथा तुलसी द्वारा विष्णुजी को पाषाण बनने का शाप

भाग-१६(16) नारद जी की काम वासना तथा भगवान विष्णु से उनका रूप मांगना

भाग-१७(17) नारद जी का भगवान विष्णु को शाप देना तत्पश्चात मोह का नाश होने पर क्षमा याचना करना

भाग-१८(18) नारदजी की श्रीराम से भेंट तथा शाप देने कारण प्रभु से क्षमा याचना करना 

भाग-१९(19) राजा प्रतभानु की कथा

भाग-२०(20) कपटी मुनि और कालकेतु राक्षस के षड़यंत्र में राजा प्रतापभानु का फंसना

भाग-२१(21) ब्राह्मणों के शाप से प्रतापभानु के समस्त वंश का नाश होना तथा सूतजी द्वारा उनके अगले राक्षस वंश का वर्णन

भाग-२२(22) श्रीराम के दरबार में महर्षियों का आगमन, उनके साथ उनकी बातचीत तथा श्रीराम के प्रश्न

भाग-२३(23) महर्षि अगस्त्य के द्वारा पुलस्त्य के गुण और तपस्या का वर्णन तथा उनसे विश्रवा मुनि की उत्पत्ति का कथन

भाग-२४(24) विश्रवा से वैश्रवण (कुबेर) की उत्पत्ति, उनकी तपस्या, वरप्राप्ति तथा लङ्का में निवास

भाग-२५(25) राक्षस वंश का वर्णन - हेति, विद्युत्केश और सुकेश की उत्पत्ति

भाग-२६(26) सुकेश के पुत्र माल्यवान, सुमाली और माली की संतानों का वर्णन

भाग-२७(27) देवताओं का भगवान् शङ्कर की सलाह से राक्षसों के वध के लिये भगवान् विष्णु की शरण में जाना और भगवान् विष्णु का उनकी सहायता के लिये आना

भाग-२८(28) भगवान् विष्णु द्वारा राक्षसों का संहार और पलायन

भाग-२९(29) माल्यवान का युद्ध और पराजय तथा सुमाली आदि सब राक्षसों का रसातल में प्रवेश

भाग-३०(30) रावण आदि का जन्म और उनका तप के लिये गोकर्ण आश्रम में जाना

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