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भाग-३१(31) रावण आदि की तपस्या और वर प्राप्ति

भाग-३२(32) रावण का संदेश सुनकर पिता की आज्ञा से कुबेर का लङ्का को छोड़कर कैलाश पर जाना, लङ्का में रावण का राज्याभिषेक तथा राक्षसों का निवास

भाग-३३(33) शूर्पणखा तथा रावण आदि तीनों भाइयों का विवाह और मेघनाद का जन्म

भाग-३४(34) रावण का अत्याचार, कुबेर का दूत भेजकर उसे समझाना तथा कुपित हुए रावण का उस दूत को मार डालना

भाग-३५(35) मन्त्रियों सहित रावण का यक्षों पर आक्रमण और उनकी पराजय

भाग-३६(36) माणिभद्र तथा कुबेर की पराजय और रावण द्वारा पुष्पक विमान का अपहरण

भाग-३७(37) नन्दीश्वर का रावण को शाप, भगवान् शङ्कर द्वारा रावण का मान भङ्ग तथा उनसे चन्द्रहास नामक खड्ग की प्राप्ति

भाग-३८(38) रावण से तिरस्कृत ब्रह्मर्षि कन्या वेदवती का उसे शाप देकर अग्नि में प्रवेश करना और दूसरे जन्म में सीता के रूप में प्रादुर्भूत होना

भाग-३९(39) रावण द्वारा मरुत्त की पराजय तथा इन्द्र आदि देवताओं का मयूर आदि पक्षियों को वरदान देना

भाग-४०(40) रावण के द्वारा अनरण्य का वध तथा उनके द्वारा उसे शाप की प्राप्ति

भाग-४१(41) नारदजी का रावण को समझाना, उनके कहने से रावण का युद्ध के लिये यमलोक को जाना 

भाग-४२(42) रावण का यमलोक पर आक्रमण और उसके द्वारा यमराज के सैनिकों का संहार

भाग-४३(43) यमराज और रावण का युद्ध

भाग-४४(44) रावण के द्वारा निवात कवचों से मैत्री, कालकेयों का वध तथा वरुण पुत्रों की पराजय

भाग-४५(45) रावण द्वारा अपहृत हुई देवता आदि की कन्याओं और स्त्रियों का विलाप एवं शाप, रावण का रोती हुई शूर्पणखा को आश्वासन देना

भाग-४६(46) यज्ञों द्वारा मेघनाद की सफलता, विभीषण का रावण को पर स्त्री-हरण के दोष बताना, रावण का देवलोक पर आक्रमण करना

भाग-४७(47) रावण का रम्भा पर बलात्कार करना और नलकूबेर का रावण को भयंकर शाप देना

भाग-४८(48) सेना सहित रावण का इन्द्र लोक पर आक्रमण, देवताओं और राक्षसों का युद्ध तथा वसु के द्वारा सुमाली का वध

भाग-४९(49) मेघनाद और जयन्त का युद्ध, देवराज इन्द्र का युद्धभूमि में पदार्पण और इन्द्र तथा रावण का युद्ध

भाग-५०(50) मेघनाद का माया द्वारा इन्द्र को बन्दी बनाना तथा विजयी होकर सेना सहित लङ्का को लौटना

भाग-५१(51) ब्रह्माजी का इन्द्रजीत को वरदान देकर इन्द्र को उसकी कैद से छुड़ाना

भाग-५२(52) रावण का माहिष्मती पुरी में जाना और वहाँ के राजा अर्जुन को न पाकर नर्मदा में नहाकर भगवान् शिव की आराधना करना

भाग-५३(53) रावण आदि निशाचरों का सहस्रार्जुन के साथ युद्ध तथा अर्जुन का रावण को कैद करके अपने नगर में ले जाना

भाग-५४(54) पुलस्त्यजी का रावण को अर्जुन की कैद से छुटकारा दिलाना

भाग-५५(55) वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना

भाग-५६(56) दैत्यराज बलि द्वारा रावण का पराभव

भाग-५७(57) रावण का तपस्या कर महादेव से आत्मज्योतिर्लिंग मांगना तथा वैद्यनाथ धाम की स्थापना होना 

भाग-५८(58) रावण का नवग्रहों को बंदी बनाना तथा मुनि अगस्त्य द्वारा मेघनाद के वध का रहस्य बताना

भाग-५९(59) मुनि अगस्त्य द्वारा वीर लक्ष्मण के पराक्रम का रहस्य बताना 

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इति श्रीमद् राम कथा रावण चरित्र अध्याय-३ सम्पूर्ण !


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