बालकाण्ड

भाग-१(1) राजा दशरथ द्वारा सुरक्षित अयोध्यापुरी का वर्णन

भाग-२(2) राजा का पुत्र के लिये अश्वमेध यज्ञ करने का प्रस्ताव और मन्त्रियों तथा ब्राह्मणों द्वारा उनका अनुमोदन

भाग-३(3) अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का कुछ विस्तार के साथ वर्णन

भाग-४(4) सुमन्त्र के कहने से राजा दशरथ का सपरिवार अंगराज के यहाँ जाकर वहाँ से शान्ता और ऋष्यश्रृंग को अपने घर ले आना

भाग-५(5) राजा का वसिष्ठजी से यज्ञ की तैयारी के लिये अनुरोध तथा पत्नियों सहित राजा दशरथ का यज्ञ की दीक्षा लेना

भाग-६(6) महाराज दशरथ के द्वारा अश्वमेध यज्ञ का सांगोपांग अनुष्ठान

भाग-७(7) ऋष्यश्रृंग द्वारा राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आरम्भ, पृथ्वी, देवताओं व ब्रह्माजी की प्रार्थना से  रावण के वध के लिए  भगवान् विष्णु का उनको  आश्वासन देना

भाग-८(8) राजा के पुत्रेष्टि यज्ञ में अग्निकुण्ड से प्राजापत्य पुरुष का प्रकट होकर खीर अर्पण करना और उसे खाकर रानियों का गर्भवती होना

भाग-९(9) ब्रह्माजी की प्रेरणा से देवता आदि के द्वारा विभिन्न वानरयूथपतियों की उत्पत्ति

भाग-१०(10) श्री भगवान्‌ का प्राकट्य और बाललीला का आनंद

भाग-११(11) श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शील स्वभाव एवं सद्गुण

भाग-१२(12) श्रीराम की बाललीला से कौशल्याजी का मोहित होना तथा चारों भाइयों का शिक्षा ग्रहण करना

भाग-१३(13) राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन तथा उनका सत्कार

भाग-१४(14) विश्वामित्र के रोषपूर्ण वचन तथा वशिष्ठ का राजा दशरथ को समझाना

भाग-१५(15) राजा दशरथ का  राम-लक्ष्मण को मुनि के साथ भेजना, मार्ग में उन्हें विश्वामित्र से बला और अतिबला नामक विद्या की प्राप्ति

भाग-१६(16) श्रीराम और लक्ष्मण का विश्वामित्रजी द्वारा तारका वन का परिचय देना

भाग-१७(17) ब्रह्माजी कि आज्ञा से देवताओं का ऋषि त्वष्टा के पुत्र विश्वरूप का देवगुरु के रूप में वरण

भाग- १८(18) विश्वरूप का वध, वृत्रासुर द्वारा देवताओं की हार और उससे पीड़ित देवताओं का भगवान कि शरण में जाना

भाग-१९(19) भगवान् की प्रेरणा से देवताओं का दधीचि ऋषि के पास जाना

भाग-२०(20) देवताओं द्वारा दधीचि ऋषि की अस्थियों से वज्र-निर्माण और वृत्रासुर की सेना पर आक्रमण

भाग-२१(21) वृत्रासुर की वीरवाणी और भगवत्प्राप्ति

भाग-२२(22) इन्द्र द्वारा वृत्रासुर का वध

भाग-२३(23) इन्द्र पर ब्रह्महत्या का आक्रमण

भाग-२४(24) श्रीराम के पूछने पर विश्वामित्रजी का उनसे तारका की उत्पत्ति, विवाह एवं शाप आदि का प्रसंग सुनाकर उन्हें तारका - वध के लिये प्रेरित करना तथा श्रीराम द्वारा तारका का वध

भाग-२५(25) विश्वामित्र द्वारा श्रीराम को दिव्यास्त्र - दान तथा श्रीराम को अस्त्रों की संहार विधि बताना एवं उन्हें अन्यान्य अस्त्रों का उपदेश करना

भाग-२६(26) विश्वामित्रजी का श्रीराम से सिद्धाश्रम का पूर्व वृत्तान्त बताना और उन दोनों भाइयों के साथ अपने आश्रम पर पहुँचकर पूजित होना

भाग-२७(27) श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा तथा राक्षसों का संहार

भाग-२८(28) श्रीराम, लक्ष्मण तथा ऋषियों सहित विश्वामित्र का मिथिला को प्रस्थान तथा मार्ग में संध्या के समय शोणभद्र तट पर विश्राम

भाग-२९(29) ब्रह्मपुत्र कुश के चार पुत्रों का वर्णन, शोणभद्र-तटवर्ती प्रदेश को वसु की भूमि बताना, कुशनाभ की सौ कन्याओं का वायु के कोप से 'कुब्जा' होना

भाग-३०(30) राजा कुशनाभ द्वारा कन्याओं के धैर्य एवं क्षमाशीलता की प्रशंसा, ब्रह्मदत्त की उत्पत्ति तथा उनके साथ कुशनाभ की कन्याओं का विवाह

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