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भाग-३१(31) गाधि की उत्पत्ति, कौशिकी की प्रशंसा तथा श्रीराम के पूछने पर विश्वामित्रजी का उन्हें गंगाजी की उत्पत्ति की कथा सुनाना

भाग-३२(32) देवताओं का शिव-पार्वती को सुरतक्रीडा से निवृत्त करना तथा उमादेवी का देवताओं और पृथ्वी को शाप देना

भाग-३३(33) मुनि विश्वामित्र द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण को गंगा से कार्तिकेय की उत्पत्ति तथा गंगावतरण का प्रसंग सुनाना   

भाग-३४(34) देवताओं और दैत्यों द्वारा क्षीर समुद्र मन्थन तथा अमृत की उत्पत्ति और देवासुर संग्राम में दैत्यों का संहार

भाग-३५(35) पुत्र वध से दु:खी दिति का कश्यपजी से इन्द्रहन्ता पुत्र की प्राप्ति के उद्देश्य से तप करना तथा उन्हें अपवित्र अवस्था में पाकर इन्द्र का उनके गर्भ के सात टुकड़े कर डालना

भाग-३६(36) श्रीराम का मिथिलापुरी में पहुँचना और वहाँ सूने आश्रम के विषय में पूछने पर विश्वामित्रजी का उनसे अहिल्या को शाप प्राप्त होने की कथा सुनाना

भाग-३७(37) पितृदेवताओं द्वारा इन्द्र को भेड़े के अण्डकोष से युक्त करना तथा भगवान् श्रीराम के द्वारा अहिल्या का उद्धार एवं उन दोनों दम्पति के द्वारा इनका सत्कार

भाग-३८(38) राजा जनक द्वारा विश्वामित्र का सत्कार तथा उनका श्रीराम और लक्ष्मण के विषय में जिज्ञासा करना एवं परिचय पाना

भाग-३९(39) राजा जनक का विश्वामित्र और राम-लक्ष्मण का सत्कार करके उन्हें अपने यहाँ रखे हुए धनुष का परिचय देना 

भाग-४०(40) विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्रीराम-लक्ष्मण का नगर (जनकपुरी) भ्रमण 

भाग-४१(41) श्रीराम-लक्ष्मण का धनुषयज्ञ शाला निरीक्षण 

भाग-४२(42) पुष्पवाटिका में श्रीराम को जानकीजी का प्रथम दर्शन  

भाग-४३(43) श्री सीताजी का पार्वती पूजन एवं वरदान प्राप्ति 

भाग-४४(44) श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का यज्ञशाला में प्रवेश

भाग-४५(45) श्री सीताजी का यज्ञशाला में प्रवेश, बंदीजनों द्वारा जनक प्रतिज्ञा की घोषणा राजाओं से धनुष न उठना, जनक की निराशाजनक वाणी 

भाग-४६(46) जनकजी के वचन सुनकर लक्ष्मण का क्रोधित होना, सीताजी की माता का श्रीराम के बल पर संदेह कर चिंतित होना तथा जानकीजी का देवताओं को मनाना 

भाग-४७(47) श्रीराम द्वारा शिवजी के धनुष को भंग करना, सीताजी का श्रीराम के गले में जयमाला पहनाना 

भाग-४८(48) परशुरामजी का धनुष यज्ञशाला में आगमन व टूटे धनुष को देखकर क्रोध करना 

भाग-४९(49) श्रीराम-लक्ष्मण परशुराम संवाद

भाग-५०(50) श्रीराम का वैष्णव-धनुष को चढ़ाकर अमोघ बाण के द्वारा परशुराम के तपः प्राप्त पुण्यलोकों का नाश करना तथा परशुराम का महेन्द्रपर्वत को लौट जाना

भाग-५१(51 दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना

भाग-५२(52 अयोध्या से मिथिला की ओर बारात का प्रस्थान

भाग-५३(53) बारात का जनकपुर में आना और स्वागतादि

भाग-५४(54) राजा दशरथ के अनुरोध से वशिष्ठजी का सूर्यवंश का परिचय देते हुए श्रीराम और लक्ष्मण के लिये सीता तथा ऊर्मिला को वरण करना

भाग-५५(55) राजा जनक का अपने कुल का परिचय देते हुए श्रीराम और लक्ष्मण के लिये क्रमश: सीता और ऊर्मिला को देने की प्रतिज्ञा करना

भाग-५(56) विश्वामित्र द्वारा भरत और शत्रुघ्न के लिये कुशध्वज की कन्याओं का वरण, राजा जनक द्वारा इसकी स्वीकृति तथा राजा दशरथ का अपने पुत्रों के मंगल के लिये नान्दीश्राद्ध एवं गोदान करना

भाग-५७(57) श्रीराम की बारात में देवताओं का आगमन 

भाग-५८(58) सीताजी की माता सुनयना द्वारा दूल्हा बने श्रीराम सहित चारों भाइयों का परछन करना तथा जनकजी द्वारा बारात का आदरपूर्वक पूजन 

भाग-५९(59) श्रीराम-जानकी विवाह 

भाग-६०(60) भारत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न का विवाह, सुहागिनों द्वारा विवाह की मांगलिक क्रिया करवाना तथा जनकजी द्वारा सभी बारातियों को आदर-सहित भोज करवाना  

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