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भाग-३२(32) शिव-पार्वती संवाद

भाग-३३(33) भगवान शिव का नट और ब्राह्मण रूप में हिमालय के घर जाना 

भाग-३४(34) शिव आज्ञा से गिरिराज के द्वार पर सप्तऋषियों का आगमन और हिमालय को समझाना

भाग-३५(35) महर्षि वशिष्ठ ने हिमालय राज को सुनाई राजा अनरण्य की कथा

भाग-३६(36) पद्मा-पिप्पलाद की कथा

भाग-३७(37) हिमालय और मैना का देवी पार्वती और महादेव के विवाह के लिए राजी होना

भाग-३८(38) देव शिल्पी विश्वकर्मा की विवाह स्थान पर अद्भुत कला

भाग-३९(39) भगवान शिव की बारात का हिमालयपुरी की ओर प्रस्थान

भाग-४०(40) शैलराज हिमालय द्वारा बारात का स्वागत करना

भाग-४१(41) मैना ने देखी भगवान शिव की अनुपम लीला

भाग-४२(42) भगवान शिव के अनोखे रूप को देखकर मैना का हठ और विलाप 

भाग-४३(43) मैना ने किया भगवान शिव का सुंदर व दिव्य स्वरूप दर्शन

भाग-४४(44) शिव का परिछन व पार्वती का सुंदर रूप देख प्रसन्न होना तथा वर-वधू द्वारा एक-दूसरे का पूजन

भाग-४५(45) भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह

भाग-४६(46) ब्रह्माजी का मोहित होना तथा विवाह संपन्न और शिवजी से विनोद

भाग-४७(47) रति की प्रार्थना पर कामदेव को जीवनदान तथा भगवान शिव का आवासगृह में शयन

भाग-४८(48) बारात का ठहरना और हिमालय का बारात को विदा करना

भाग-४९(49) पार्वती को पतिव्रत धर्म का उपदेश

भाग-५०(50) बारात का विदा होना तथा शिव-पार्वती का कैलाश पर निवास

भाग-५१(51) शिव-पार्वती संवाद तथा शिवजी से पार्वती का राम कथा सुनना।

भाग-५२(52) शिवजी का श्रीराम की महिमा से पार्वती के मोह को शांत करना

भाग - ५३(53) गरुड़ का मोह ओर शिवजी का गरुड़ को काकभुशुण्डि के पास भेजना

भाग-५४(54) गरुड़जी का काकभुशुण्डि से रामकथा और राम महिमा सुनना

भाग-५५(55) काकभुशुण्डि का गरुड़ को श्री राम की बाल लीला सुनाना

भाग-५६(56) श्रीराम की महिमा जानकर गरुड़ के मोह का नाश

भाग-५७(57) काकभुशुण्डि का अपनी पूर्व जन्म कथा और कलि महिमा कहना

भाग-५८(58) गुरुजी का अपमान एवं शिवजी के शाप की बात सुनना

भाग-५९(59) गुरुजी का शिवजी से अपराध क्षमापन, शापानुग्रह और काकभुशुण्डि की आगे की कथा

भाग-६०(60) काकभुशुण्डिजी का लोमशजी के पास जाना और शाप तथा अनुग्रह पाना

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