Saturday, February 1, 2025

रामायण: एक परिचय

रामायण संस्कृत के रामायणम् का हिंदी रूपांतरण है जिसका शाब्दिक अर्थ है राम की जीवन यात्रा। रामायण और महाभारत दोनों सनातन संस्कृति के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय ग्रन्थ हैं। रामायण को आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। इसमें कुल लगभग २४,००० श्लोक हैं। उसके बाद की संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य पर इस महाकाव्य का बहुत प्रभाव है तथा रामकथा को लेकर अनेकों 'रामायण' रचे गये। 



विभिन्न भाषाओं में रामायण

सबसे प्राचीन मानी जाने वाली वाल्मीकि रामायण की लोकप्रियता महर्षि वाल्मीकि के जीवन-काल में ही शिखर पर पहुँच गई। महर्षि के पश्चात् रामकथा की लोकप्रियता इतनी अधिक बढ़ी कि अनेकानेक अन्य संस्कृत ग्रन्थों नाटकों, काव्यों, पुराणों एवं महाभारत में भी राम कथा ने प्रवेश कर लिया। मध्ययुग तक पहुँचते-पहुँचते, यही राम कथा प्रादेशिक तथा विदेशी भाषाओं में भी प्रस्तुत की जाने लगी। 
अनेक लेखकों द्वारा लिखी जाने के कारण ही इसकी मूल कथा में परिवर्तन तथा परिवर्धन होता रहा। इसके अतिरिक्त कुछ स्थानीय भावनाएँ एवं प्रथाएँ भी इन काव्यों में जुड़ती गईं जिसके कारण मूल कथा में परिवर्तन होते गए। इसी कारण राम कथा में बताई जाने वाली कुछ घटनाएं हमेशा से शोध का विषय रही हैं। जैसे हनुमानजी का भगवान शंकर के साथ मदारी और वानर रूप धरकर बाल्यकाल में श्री राम से भेंट करना, रावण का स्वयंवर में आकर धनुष उठाने का प्रयास करना, सुलोचना का अपने पति मेघनाद की मृत्यु होने पर सती होना आदि कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो हमें मूल रामायण में नहीं मिलती हैं। 

राम कथा का प्रचार-प्रसार 

श्रीराम-कथा केवल वाल्मीकी रामायण तक सीमित न रही बल्कि मुनि व्यास रचित महाभारत में भी 'रामोपाख्यान' के रूप में आरण्यकपर्व (वन पर्व) में यह कथा वर्णित हुई है। इसके अतिरिक्त 'द्रोण पर्व' तथा 'शांतिपर्व' में रामकथा के सन्दर्भ उपलब्ध हैं।
इतना ही नहीं, बौद्ध तथा जैन धर्मावलम्बियों ने भी राम कथा को अपने रूप में अपनाया। बौद्ध परम्परा में श्रीराम से संबंधित दशरथ जातक, अनामक जातक तथा दशरथ कथानक नामक तीन जातक कथाएँ उपलब्ध हैं। रामायण से थोड़ा भिन्न होते हुए भी ये ग्रन्थ इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। जैन साहित्य में राम कथा सम्बन्धी कई ग्रंथ लिखे गये, जिनमें मुख्य हैं- विमलसूरि कृत 'पउमचरियं' (प्राकृत), आचार्य रविषेण कृत 'पद्मपुराण' (संस्कृत), स्वयंभू कृत 'पउमचरिउ' (अपभ्रंश), रामचंद्र चरित्र पुराण तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण (संस्कृत)।
परमार भोज ने चम्पू रामायण की रचना की थी। जैन परम्परा के अनुसार राम का मूल नाम 'पद्म' था।
राम कथा अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में भी लिखी गयीं। हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बाङ्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं। हिंदी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस ने उत्तर भारत में विशेष स्थान पाया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत,गुजराती, मलयालम, कन्नड, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गयी। 
महाकवि कालिदास, भास, भट्ट, प्रवरसेन, क्षेमेन्द्र, भवभूति, राजशेखर, कुमारदास, विश्वनाथ, सोमदेव, गुणादत्त, नारद, लोमेश, मैथिलीशरण गुप्त, केशवदास, समर्थ रामदास, संत तुकडोजी महाराज आदि चार सौ से अधिक कवियों तथा संतों ने अलग-अलग भाषाओं में राम तथा रामायण के दूसरे पात्रों के बारे में काव्यों/कविताओं की रचना की है।स्वामी करपात्री ने 'रामायण मीमांसा' की रचना करके उसमें रामगाथा को एक वैज्ञानिक आयामाधारित विवेचन दिया।
वर्तमान में प्रचलित बहुत से राम-कथानकों में आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, कृत्तिवास रामायण, बिलंका रामायण, मैथिल रामायण, सर्वार्थ रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तर रामचरितम्, रघुवंशम्, प्रतिमानाटकम्, कम्ब रामायण, भुशुण्डि रामायण, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, श्रीराघवेंद्रचरितम्, मन्त्र रामायण, योगवाशिष्ठ रामायण, हनुमन्नाटकम्, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् आदि मुख्य हैं।
भारत मे स्वतंत्रता के बाद से संस्कृत में रामकथा पर आधारित अनेक महाकाव्य लिखे गए हैं उनमे रामकीर्ति, रामाश्वमेधीयम्, श्रीमद्भार्गवराघवीयम्, जानकीजीवनम, सीताचरितम्, रघुकुलकथावल्ली, उर्मिलीयम्, सीतास्वयम्बरम्, रामरसायण्, सीतारामीयम्, साकेतसौरभम् आदि प्रमुख हैं। 

मुगल रामायण

रामायण की लोकप्रियता केवल सनातन धर्म में ही नहीं अपितु मुग़ल काल में भी अपने चरम पर रही। अकबर ने नवम्बर 1588 में सचित्र रामायण का फारसी भाषा मे अनुवाद पूर्ण करवाया था जो हाल जयपुर महल संग्रहालय मे हैं। इस रामायण मे 365 पृष्ठ हैं। इसमे 176 चित्र हैं जिसके मुख्य चित्रकार लाल , केशव और बसावन है।
कतर के दोहा मे भी मुगल रामायण हैं जो अकबर की मां हमीदा बानु बेगम के लिए बनाई गई थीं जो 16 मई 1594 को पूर्ण हुई थीं। अब्दुल रहीम ने भी सचित्र रामायण का अनुवाद करवाया था जो वर्तमान समय मे 'फ्रिर गेलेरी ओफ आर्ट' वाशिंगटन मे हैं। इस रामायण के मुख्य चित्रकार श्याम सुंदर हैं। चेस्टर बेट्टी लाइब्रेरी , डबलिन ' मे एक लघु योगवासिष्ठ रामायण हैं जो अकबर और जहाँगीर की हैं। इस रामायण में 41 चित्र हैं।

रामायण की विश्व यात्रा

भारत के इतिहास में राम जैसा विजेता कोई नहीं हुआ। उन्होंने रावण और उसके सहयोगी अनेक राक्षसों का वध करके न केवल भारत में शांति की स्थापना की बल्कि सुदूर पूर्व और आस्ट्रेलिया तक में सुख और आनंद की एक लहर व्याप्त कर दी। श्री राम अदभुत सामरिक पराक्रम व्यवहार कुशलता और विदेश नीति के स्वामी थे। उन्होंने किसी देश पर अधिकार नहीं किया लेकिन विश्व के अनेकों देशों में उनकी प्रशंसा के विवरण मिलते हैं जिससे पता चलता है कि उनकी लोकप्रियता दूर दूर तक फैली हुई थी।
श्रीलंका और बर्मा में रामायण कई रूपों में प्रचलित है। लोक गीतों के अतिरिक्त रामलीला की तरह के नाटक भी खेले जाते हैं। बर्मा में बहुत से नाम राम के नाम पर हैं। रामावती नगर तो राम नाम के ऊपर ही स्थापित हुआ था। अमरपुर के एक विहार में राम लक्ष्मण सीता और हनुमान के चित्र आज तक अंकित हैं।
मलयेशिया में रामकथा का प्रचार अभी तक है। वहां मुस्लिम भी अपने नाम के साथ अक्सर राम लक्ष्मण और सीता नाम जोडते हैं। यहां रामायण को ''हिकायत सेरीराम'' कहते हैं। 
थाईलैंड के पुराने रजवाडों में भरत की भांति राम की पादुकाएं लेकर राज्य करने की परंपरा पाई जाती है। वे सभी अपने को रामवंशी मनते थे।यहां ''अजुधिया'' ''लवपुरी'' और ''जनकपुर'' जैसे नाम वाले शहर हैं। यहां पर राम कथा को ''रामकीर्ति'' कहते हैं और मंदिरों में जगह जगह रामकथा के प्रसंग अंकित हैं।
चीन के अनाम में कई शिलालेख मिले हैं जिनमें राम का यशोगान है। यहां के निवासियों में ऐसा विश्वास प्रचलित है कि वे वानर कुल से उत्पन्न हैं और श्रीराम नाम के राजा यहां के सर्वप्रथम शासक थे। रामायण पर आधारित कई नाटक यहां के साहित्य में भी मिलते है।
विदेशों में भी तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तानकी खोतानीरामायण, इंडोनेशिया की ककबिनरामायण, जावा का सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, इण्डोचायनाकी रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण, बर्मा (म्यांम्मार) की यूतो की रामयागन, थाईलैंड की रामकियेन आदि रामचरित्र का बखूबी बखान करती है। इसके अलावा विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि ग्रीस के कवि होमर का प्राचीन काव्य इलियड, रोम के कवि नोनस की कृति डायोनीशिया तथा रामायण की कथा में अद्भुत समानता है।


रामायण से मिलने वाली शिक्षा 

रामायण के सभी चरित्र अपने धर्म का पालन करते हैं। जिनसे हमें सीख मिलती है :

  • राम एक आदर्श पुत्र हैं। पिता की आज्ञा उनके लिये सर्वोपरि है। पति के रूप में राम ने सदैव एकपत्नीव्रत का पालन किया। राजा के रूप में प्रजा के हित के लिये स्वयं के हित को गौण समझते हैं।  उनका व्यक्तित्व विलक्षण है । वे अत्यन्त वीर्यवान, तेजस्वी, विद्वान, धैर्यशील, जितेन्द्रिय, बुद्धिमान, सुंदर, पराक्रमी, दुष्टों का दमन करने वाले, युद्ध एवं नीतिकुशल, धर्मात्मा, मर्यादापुरुषोत्तम, प्रजावत्सल, शरणागत को शरण देने वाले, सर्वशास्त्रों के ज्ञाता एवं प्रतिभा सम्पन्न हैं।
  • सीता का पातिव्रत महान है। सारे वैभव और ऐश्वर्य को ठुकरा कर वे पति के साथ वन चली गईं।
  • रामायण भातृ-प्रेम का भी उत्कृष्ट उदाहरण है। जहाँ बड़े भाई के प्रेम के कारण लक्ष्मण उनके साथ वन चले जाते हैं वहीं भरत अयोध्या की राज गद्दी पर, बड़े भाई का अधिकार होने के कारण, स्वयं न बैठ कर राम की पादुका को प्रतिष्ठित कर देते हैं।
  • कौशल्या एक आदर्श माता हैं। अपने पुत्र राम पर कैकेयी के द्वारा किये गये अन्याय को भूला कर वे कैकेयी के पुत्र भरत पर उतनी ही ममता रखती हैं जितनी कि अपने पुत्र राम पर।
  • हनुमान एक आदर्श भक्त हैं, वे राम की सेवा के लिये अनुचर के समान सदैव तत्पर रहते हैं। शक्तिबाण से मूर्छित लक्ष्मण को उनकी सेवा के कारण ही प्राणदान प्राप्त होता है। जगत में ऐसा कोई भक्त नहीं हुआ जो अपने भगवान के संकटों का निवारण करे इसलिए समस्त संसार हनुमानजी को भक्त शिरोमणि पुकारते हैं। 
  • रावण भले ही दुरात्मा था लेकिन था तो भगवान का पार्षद ही। इस कारण रावण जैसे महापंडित के चरित्र से सीख मिलती है कि अहंकार नाश का कारण होता है।

इतना सब जानने के पश्चात हमें यह पता चलता है की करोड़ों भक्तों की आस्था का प्रतीक बन चुके प्रभु श्रीराम केवल भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में पूजनीय है। असंख्य भाषाओं तथा नाटकों में भगवान की कथा का प्रचार कोई संयोग नहीं अपितु भगवान श्री राम की ही कृपा का फल है। इससे हमें यह पता चलता है की यदि कलयुग में समस्त प्राणियों के उद्धार का कोई सरल उपाय है तो वह केवल राम नाम ही है। प्रभु श्रीराम जब अपना अवतार पूर्ण कर वापस वैकुण्ठ जा रहे थे तब उन्होंने अपने परम भक्त श्री हनुमानजी को यही आशीष दी थी की कलयुग में जहां-जहां राम कथा का प्रचार होगा वहां-वहां तुम किसी न किसी रूप में स्वयं उपस्थित रहकर असहाय प्राणियों के दुखों का निवारण करोगे। 
अतः हमारा भी यही प्रयास है की आज के social media के ज़माने में तथा उलझनों से भरी जीवन शैली में आप तक सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाली श्रीराम कथा सरल और हिंदी भाषा में पहुंचायी जाये। किन्तु श्रीराम कथा इतनी विशाल है की धरती के पांच महासागर भी मिलकर इसे पूर्णता नहीं दे सकते। फिर भी वे सभी सुनी और अनसुनी कथाएं आप तक पहुंचा सकें यही हमारी प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है। 

इति श्रीमद् राम कथा रामायण: एक परिचय समाप्त! 




रामायण: एक परिचय

रामायण संस्कृत के रामायणम् का हिंदी रूपांतरण है जिसका शाब्दिक अर्थ है राम की जीवन यात्रा। रामायण और महाभारत दोनों सनातन संस्कृति के सबसे प्र...